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पूर्व खरीफ किसान मेला एवं किसान गोष्ठी प्रतिवेदन

कृषि विज्ञान केन्द्र जमुनाबाद लखीमपुर-खीरी जनपद में स्थानीय क्षेत्र विशेष तकनीक माडल का परीक्षण एवं प्रदर्शन के माध्यम से प्राप्त परिणामों का प्रचार प्रसार करने के लिये भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के निर्देशन मे पूर्व खरीफ किसान मेला एवं गोष्ठी का आयोजन विलोबी मेमोरियल प्रांगण में दिनांक 07 जुलाई 2015 को किया गया।

पूर्व खरीफ किसान मेला एवं गोष्ठी का मुख्य निर्धारित विषय निम्नलिखित थे

  1. खरीफ दलहन, तिलहन उत्पादन को बढावा देना।
  2. धान्य एवं बागवानी में सघनीकरण तकनीक को बढावा देना।
  3. नकदी फसलों के साथ कृषि वानिकी को बढावा देना।
  4. आर्थिक लाभ के लिए खेती के साथ पशुपालन को बढावा देना।

इसी क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र के साथ-साथ, कृषि विभाग, मृदा परीक्षण, कृषि रक्षा, रेशम विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग, विभिन्न रक्षा रसायन कम्पनियां एवं फर्मे तथा एन0जी0ओ0, खाद्य प्रसंस्करण एवं कृषक क्लबों द्वारा अपने स्टाल इस प्रदर्शनी में लगाये और अपने विभाग की गतिविधियों को पोस्टर माडल, पम्पलेट फोल्डर के माध्यम से प्रदर्शित किया।


उद्घाटन एवं प्रर्दशनी स्टाल निरीक्षण- किसान मेला एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन माननीय सांसद खीरी श्री अजय मिश्र जी के कर कमलों द्वारा किया गया, इसके पश्चात् मुख्य अतिथि ने प्रदर्शनी में विभिन्न स्टालों का निरीक्षण किया। सर्वप्रथम रेशम विभाग के पंडाल पर विभाग द्वारा किये गये कार्यों की जानकारी ली, व जिसे विभाग के प्रतिनिधि द्वारा बताया गया कि रेशम कीट पालन एवं कोकून से धागे निकालने की विधि का प्रशिक्षण विभाग द्वारा् दिया जाता है। कृषि विभाग के स्टाल का निरीक्षण के दौरान सांसद जी ने बीज की उपलब्धता एवं छूट के बारे में जानना चाहा, जिस पर प्रभारी ने इसके सम्बन्ध में समुचित जानकारी उपलब्घ करायी। इसके पश्चात् सांसद महोदय के0वी0के0 पण्डाल पर पधारे। डा0 एस0के0 विश्वकर्मा कार्यक्रम समन्वयक ने मुख्य अतिथि को के0वी0के0 द्वारा जनपद में स्थानीय क्षेत्र विशेष तकनीक के परीक्षण एवं प्रदर्शनों के परिणामों के निष्कर्षों के बारे में अवगत कराया। साथ ही डा0 विश्वकर्मा ने के0वी0के की 15 प्रमुख प्रदर्शित तकनीकी, जिसका जनपद के कृषकों में हर वर्ष क्षेत्र विस्तार हो रहा है इसके बारे में अवगत कराया, जिससे माननीय सांसद बहुत ही प्रभावित हुए। इसके साथ ही माननीय सांसद द्वारा के0वी0के0 द्वारा प्रकाशित साहित्यों, फोटोग्राफ्स एवं प्रदर्शित माडलों का भी अवलोकन किया। स्टाल पर शस्य वैज्ञानिक डा0 पी0के0 बिसेन ने एस0आर0आई0 मार्कर, कोनोवीडर, हुडेड स्पे्रयर, ट्राइकोकार्ड से सम्बन्धित जानकारी माननीय सांसद जी को दिया। डा0 मो0 सोहेल ने संरक्षित पौध उत्पादन तकनीक माडल तथा केले में अन्तः फसल सम्बन्धित पोस्टर से जानकारी माननीय सांसद को दी। डा0 एन0के0 त्रिपाठी द्वारा मिनरल मिक्सचर का पशुओं के आहार में उपयोग से सम्बन्धित पोस्टर एवं कुक्कुट पालन की तकनीक के बारे में माननीय सांसद को बताया।

इसके पश्चात् उद्यान विभाग के पंडाल का निरीक्षण एवं अवलोकन माननीय सांसद जी द्वारा किया गया एवं विभाग से कृषकों को उपलब्ध सेवाओं के बारे में सम्बन्धित प्रतिनिधि द्वारा विस्तार से बताया गया। सांसद जी आगे बढ़कर निजी कम्पनियों के स्टाल, जिसमें पैनिशिया इन्टरनेशनल एवं दयाल फर्टिलाइजर के प्रतिनिधियों से बात कर उनके उत्पादों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल किया इसी क्रम में एन0जी0ओ0 स्टाल पर सविता विकास संस्थान द्वारा बनाई गई वर्मी कम्पोस्ट का निरीक्षण करके उनके प्रतिििनध को कहा कि किसानों को प्रेरित करें कि किसान स्वयं की केचुआ खाद बनायें। एक अन्य स्वयं सेवी संस्था माँ शारदे अचार मुरब्बा के स्टाल का निरीक्षण करके सांसद महोदय पशुपालन विभाग के स्टाल पर पहुंच कर उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी से विभागीय जानकारी प्राप्त की तथा उन्हें निर्देशित किया कि पशुओं की दशा सुधारने एवं दुग्ध उत्पाद बढ़ाने की दिशा में प्रयास करें। मत्स्य विभाग, उद्यान विभाग, मृदा परीक्षण, कृषि रक्षा विभाग के स्टालों का निरीक्षण एवं विभागों द्वारा संचालित गतिविधियों के बारे में रूचि पूर्ण वार्ता की।


उद्घाटन सत्र

डा. सन्तोष कुमार विश्वकर्मा, कार्यक्रम समन्वयक ने मुख्य अतिथि माननीय सांसद खीरी श्री अजय मिश्र को गुलदस्ता भेंट कर गर्म जोशी से स्वागत किया। अपने स्वागत भाषण में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व सहा0 आयकर आयुक्त एवं प्रगतिशील कृषक श्री लक्ष्मण प्रसाद, विशेष आमंत्रित, निदेशक श्री शरद कुमार मल्होत्रा इलाहाबाद बैंक प्रशिक्षण संस्थान खीरी, नाबार्ड के जिला विकास प्रबन्धक, श्री ए0के0 सिंह तथा विभिन्न विभागों से आये अधिकारी, तकनीकी विशेषज्ञ एवं दूर दराज से पधारे सम्मानित कृषकों का भी अभिनन्दन स्वागत एवं आभार व्यक्त किया। डा0 विश्वकर्मा ने केन्द्र द्वारा जिले में कराये गये प्रशिक्षणों, प्रदर्शनों एवं परीक्षणों तथा अन्य प्रसार गतिविधियों के बारे में विस्तृत रूप रेखा प्रस्तुत की, तथा प्रर्दशनों एवं परीक्षणों उपरान्त कृषकों द्वारा अपनायी जा रही लाभदायक तकनीकों के बारे में उपस्थित जन समुदाय को विस्तार से अवगत कराया।

माननीय सांसद श्री अजय मिश्र जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जागरूक किसानों को छोड़कर अन्य किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। सरकार किसानों के लिए योजना तो बनाती है, पर उसका लाभ किसान को नहीं मिल पा रहा है आज जन सामान्य की यह सोच बन गई है कि सरकार ही किसानों का सारा कार्य करें वे स्वयं आगे बढने की नहीं सोचते। अपने सिक्किम भ्रमण का जिक्र करते हुए माननीय सांसद जी ने कहा कि वहां लोग जैविक खेती की तरफ आगे बढ़ रहे हैं, एक किसान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज वहां किसान जैविक खेती के बल पर लाखों रूपये प्रतिमाह कमाई कर रहा है हमारे जिले में भी असीमित संभावनाए है। किसानों को इसके बारे में सोचना ही होगा यदि किसान खुशहाल होगा, तभी देश खुशहाल होगा अपने वक्तव्य में उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की तथा किसानों का आह्वान किया कि अधिक से अधिक संख्या में के0वी0के के साथ जुड़े एवं उनसे तकनीकी ज्ञान लेकर अपने को आगे बढ़ाए एवं अपने गांव व जिले का नाम रोशन करें। इसी दौरान माननीय सांसद महोदय ने केन्द्र द्वारा चयनित 10 प्रगतिशील कृषकों को सम्मानित भी किया।


तकनीकी सत्र

केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न विषयों पर अपने उन्नत तकनीकी विचारों से कृषकों को अवगत कराया।

केला, मेन्था एवं पापुलर उत्पादन तकनीक तराई क्षेत्रों के लिये।

डा. मु. सोहेल ने जनपद में तेजी से विस्तार ले रही फसलों में केला, मेन्था एवं पापुलर उत्पादन की सम्भावनायें समस्यायें एवं समाधान एवं अमरूद संघनीकरण की उपयोगिता पर अपने तकनीकी व्याख्यान दिये।

खरीफ तिलहन एवं धान्य फसलें।

डा. पी.के. बिसेन ने तिल, मूंगफली, धान एवं गन्ना की उन्नतिशील प्रजातियां, संतुलित उर्वरक प्रयोग खरपतवार नियन्त्रण, रोग एवं कीट नियन्त्रण, संघनीकरण तकनीक पर कृषि के साथ वानकी पर व्याख्यान कृषकों को दिये।

भैंस, गाय एवं बकरी पालन।

डा. एन. के. त्रिपाठी गाय, भैंस, बकरी की उन्नत नस्लें, संतुलित आहार, रोगों का टीकाकरण, पशुओं का गर्मी में न आना आदि पर अपने तकनीकी विचार व्यक्त किये।


तकनीकी सत्र द्वितीय

द्वितीय तकनीक सत्र मे सर्वप्रथम इफको के क्षेत्रीय प्रबन्धक श्री सुभाष चन्द्र मिश्र ने किसानों को सन्तुलित उर्वरकों के प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया साथ ही मृदा परीक्षण के बारे में चर्चा की साथ ही साथ कृषि विज्ञान केन्द्र के बारे में कहा कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य सराहनीय है किसानों से केन्द्र का जुडाव भी तारीफ करने योग्य है।

इलाहाबाद बैंक प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक श्री शरद कुमार मल्होत्रा ने कहा कि हम नावार्ड के साथ मिलकर बेरोजगार युवकां को व्यवसायिक प्रशिक्षण दे रहे हैं हम बिना के0वी0के0 की सहायता के प्रशिक्षण कार्य को कर ही नहीं सकते। पशु पालन, जैविक खाद उत्पादन प्रशिक्षणों में के0वी0के0 के वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षित अनेक कृषक अपना सफल व्यवसाय कर रहे हैं। नाबार्ड के जिला प्रबंधक, श्री आर0के0 सिंह ने कार्यक्रम में अपने विचार रखे और कृषकों, कृषक क्लबों, स्वयं समता समूहों को पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। उपनिदेशक कृषि प्रतिनिध विषय वस्तु विशेषज्ञ (मुख्यालय) श्री सुनील शुक्ला तथा उद्यान विभाग से श्री सी0पी0 शुक्ला वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक विभागीय योनाओं के बारे मे जानकारी प्रदान की।


तकनीकी सत्र तृतीय

इस सत्र में प्रगतिशील कृषकों ने खेती से सम्बन्धित अपने विचार एवं अनुभव एवं अपनायी जा रही तकनीकी को साझा किया। इस क्रम में प्रगतिशील कृषक श्री सुभ्रान्त शुक्ला, ग्राम पंडितपुरवा रमियाबेहड़ ने बताया कि वह योमेन कृषक क्लब का संचालन कर रहे है तथा क्षेत्र के कृषक कृषि विज्ञान केन्द्र से प्राप्त तकनीक से गन्ना उगाकर अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि के0वी0के0 से जुड़कर अधिक से अधिक तकनीकी अपनाकर लाभ प्राप्त करें।

श्री आलोक शुक्ला, ग्राम ऐंठापुर ने उठी क्यारी तकनीक से गेहूं उत्पादन करने की तकनीक किसानों को बताया साथ ही गेहूँ के साथ गन्ना उत्पादन की तकनीक भी किसानों के बीच साझा किया। /p>

श्री अशोक कुमार वर्मा, ग्राम किसुनवापुर ने बताया कि पशुओं में खनिज मिश्रण का प्रयोग नियमित करके बार-बार गर्भाधान करवाने की प्रक्रिया से बचा जा सकता है तथा दुग्ध उत्पादक भी बढ़ जाता है। जिसका लाभ वह स्वयं प्राप्त कर रहे हैं।

के.वी.के. निर्देशन में वह कृषक क्लब शरद किसान क्लब का संचालन कर रहे है जिससे गांव कृषक लाभान्वित हो रहे हैं। प्रगतिशील कृषक श्री लियाकत अली, बेहजम ने सब्जी उत्पादन तकनीक के बारे में किसानों को विस्तार से बताया उन्होंने किसानों को बताया कि सब्जियों की अगेती खेती ही करे क्योंकि उससे अच्छा लाभ मिलता है।


तकनीकी सत्र चतुर्थ

कृषक प्रश्नोत्तरी के अन्तर्गत श्री शिव बालक वर्मा, ग्राम सेहरूआ ने वैज्ञानिकों से बहुत से प्रश्न किसानों की तरफ से किया। जिसका समाधान वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। फूलबेहड़ तथा आसपास के किसानों ने बकरी पालन की व्यावसायिक विधियों के बारे में विस्तार से चर्चा करने की मांग किया, जिस पर डा0 त्रिपाठी ने इन लोगों की जिज्ञासा का उत्तर देकर शान्त किया। इसी जगह से पधारें किसानों के दल ने डा0 मु0 सुहेल से परवल की खेती पर चर्चा की, कुछ किसानों ने परवल की खेती में आ रही समस्याओं तथा खेत में लगने वाले रोगों पर चर्चा की, एक किसान ने परवल मे लगे सड़न का नमूना दिखाया, जिसके नियन्त्रण के बारे में डा0 सुहेल ने मौके पर उनकी जिज्ञासा का समाधान किया।

रमियाबेहड़ के किसानों ने डा0 बिसेन से गन्ना की उत्पादन तकनीकी, रोग प्रबंधन, पेडी प्रबंधन तथा दवाओं के बारे में विस्तार से चर्चा किया। डा0 बिसेन ने भी विभिन्न कृषकों की जिज्ञासाओं का समाधान सुरूचि पूर्ण ढंग से करते हुए रोगों के लक्षण, उपचार सन्तुलित उर्वरक प्रयोग, हानिकारक एवं लाभदायक कीड़ों के बारे में पहचान इत्यादि पर चर्चा की। किसान भाइयों द्वारा गन्ने का पौधे प्रजाति (ब्व 0238) का सैम्पल भी दिखाया गया। जिसके बारे में किसानों की जिज्ञासा को सस्य विज्ञानिक डा0 पी0के0 बिसेन द्वारा समाधान किया गया।


धन्यवाद ज्ञापन

कार्यक्रम मे अंत में इस किसान मेला एवं गोष्ठी में पधारने पर सभी माननीय अतिथियों, आगन्तुको और कृषक भाईयों को धन्यवाद एवं आभार डा0 एन0के0 त्रिपाठी ने व्यक्त किया।


मुख्य बिन्दु

  • कृषि विज्ञान केन्द्र कृषक भाइयों को तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने के लिए बनाया गया है।
  • कृषक भाइयों को कृषि विज्ञान केन्द्र एवं अन्य शोध संस्थानों के पास जाकर ज्ञान प्राप्त करना होगा।
  • कृषक भाइयो को जिले के प्रगतिशील कृषकों के प्रक्षेत्र पर भ्रमण करके जानकारी प्राप्त करना चाहिए।
  • कृषक भाइयों को आय बढाने एवं गुणवक्ता युक्त उत्पादन हेतु जैविक खेती को बढावा देना चाहिए।
  • किसान खुशलाह होगा तभी देश खुशहाल होगा।
  • Trainings (DASP, Para vet, Soil conservation, women empowerment ect.
  • Soil heath day

  • मृदा स्वास्थ्य दिवस

    कृषि विज्ञान केन्द्र लखीमपुर द्वारा दिनांक 05.12.15 को कृषक समाज कालेज, गोला के गोवर्धन हाल में मृदा स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया गया।

    उद्घाटन सत्र- कार्यक्रम का शुभआरम्भ श्री एस0एन0 दीक्षित प्रधानाचार्य द्वारा दीप प्रज्जवल करके किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 एस0के0 विश्वकर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष के0वी0के0 द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र में श्री एन0एन0 दीक्षित ने अपने सम्बोधन में कहा कि मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक भोजन की आवश्यकता है। पौष्टिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए मृदा का स्वस्थ रहना आवश्यक है। अतः किसान भाइयों को मृदा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना होगा।

    डा. एस. के. विश्वकर्मा द्वारा अपने सम्बोधन में बताया कि अधिक उत्पादन वाली फसल प्रजातियों के प्रयोग से ही कृषि उत्पादन में निरन्तर वृद्धि हो रही है। फसलों द्वारा मृदा से अधिकाधिक पोषक तत्वों का उपयोग किया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप मृदा उर्वरकता में कमी के लक्षण स्पष्ट रूप से प्रकट हो रहे हैं। फसलों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता बनाये रखने के लिए निरन्तर मृदा परीक्षण अतिआवश्यक है। मृदा परीक्षण उपरान्त फसलवार संस्तुति के आधार पर फसलों में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। मृदा स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए मृदा में भौतिक, रासायनिक एवं जैविक क्रियाओं का संतुलन बनाये रखना अति आवश्यक है। असंतुलन की दशा में मृदा की सभी प्रक्रियाएँ अनियमित होने लगती हैं। परिणामस्वरूप उत्पादकता में कमी आने लगती है


    तकनीकी सत्र

    डा. पी. के. बिसेन, वैज्ञानिक (सस्य) द्वारा मृदा परीक्षण की आवश्यकता, नमूना एकत्र करने की तकनीक, फसलों द्वारा प्रमुख पोषक का भूमि से निष्कासन, पोषक तत्व जैसे नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, बोरान, जस्ता, लोहा आदि की कमी के लक्षण एवं फसलों पर प्रभाव, मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों की संस्तुति, सूक्ष्म तत्वों की पूर्ति वाले उर्वरक आदि पर विस्तारित रूप से कृषकों से संवाद किया।

    डा. मो. सोहेल वैज्ञानिक (उद्यान) द्वारा शाक सब्जी एवं फलों में पोषक तत्व की कमी के लक्षण एवं उन के सुधार हेतु संस्तुत मात्रा की जानकारी कृषकों को दी गयी। पोषक तत्वों एवं मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं कुपोषण को रोकने के लिए मशरूम की उपयोगिता एवं उत्पादन पर प्रकाश डाला।

    डा. नागेन्द्र कुमार त्रिपाठी, वैज्ञानिक (पशुपालन) द्वारा मृदा स्वास्थ्य सुधार में पशुपालन का महत्व, पशु पोषण एवं खनिज मिश्रण एवं कृत्रिम गर्मधान के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी। तकनीकी सत्र में वैज्ञानिकों द्वारा सचित्र प्रस्तुतीकरण किया गया।


    मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण- मृदा

    स्वास्थ्य कार्ड वितरण ग्राम बेहटा, बख्खारी, ढोंगवा एवं बरगदिया के 50 कृषकों को कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये।